महिला सशक्तिकरण क्या है? | what is women empowerment

महिला सशक्तिकरण  (what is women empowerment) महिलाओं के हक की एक आवाज है यह विशेष अधिकारों की बात नहीं है, बल्कि समानता, न्याय और स्वतंत्रता के साथ जीने की बात है । शिक्षा पाने, नौकरी करने, अपनी बात रखने, मर्जी से काम करने, धन कमाने और खर्च करने, अपने सपनों को सच करने आदि के अधिकार महिला सशक्तिकरण के मूल आधार भी हैं और मांग भी।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध women empowerment essay in hindi

इतिहास में लंबे समय से महिला मुद्दों की चर्चा चल रही है। विशेषकर लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्थाओं के निर्माण के बाद से । इतिहास में तो स्पष्ट देखा जा सकता है महिलाओं को समान अधिकार और स्वतंत्रता से वंचित ही रखा गया है । आज भी जहां लोकतांत्रिक समाजों में मूलभूत स्वतंत्रताऐं और अधिकार प्रदान करने के प्रयास अवश्य किए गए हैं, परंतु महिलाओं को अधिकांश क्षेत्रों में समान अधिकार या तो प्राप्त नहीं है, या प्राप्त हैं भी तो वे उनका उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं ।

इसीलिए महिला सशक्तिकरण विषय आज बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि 21वीं सदी में मानव विकास के इतने वर्षों बाद भी महिलाएं घरों में और बाहर सुरक्षित नहीं है, उन्हें धन कमाने, खर्च करने, निर्णय लेने, अपनी इच्छा का पेशा चुनने, धार्मिक, सामाजिक कार्यों में समान भागीदारी करने की अनुमति नहीं है।

सशक्तिकरण | what is empowerment ?

सशक्तिकरण सशक्त बनने की एक प्रक्रिया है जिसमें स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक,सामाजिक, राजनीतिक धार्मिक और सांस्कृतिक विकास भी सम्मिलित होता है । इसमें अपने निर्णय लेने और लागू करने के लिए स्वतंत्रता अंतर्निहित होती है।

“विश्व बैंक के अनुसार सशक्तिकरण व्यक्तियों या समूहों की विकल्प चुनने और उन विकल्पों को वांछित कार्यों और परिणामों में बदलने की क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया है।

महिला सशक्तिकरण क्या है ? what is women empowerment

महिला सशक्तिकरण महिला के सर्वोत्तम विकास का दृष्टिकोण है। जिसमें एक महिला को पुरुष के समकक्ष स्वतंत्रता, शिक्षा प्राप्त करने, धन कमाने, कमाए गए धन को खर्च करने, अपने जीवन, परिवार, बच्चों आदि से जुड़े निर्णय लेने हेतु सक्षम और समर्थ बनाना सम्मिलित है । अर्थात समाज में एक संपूर्ण व्यक्तित्व और राष्ट्र में एक सशक्त नागरिक के रूप में महिला का सर्वोत्तम विकास ही महिला सशक्तिकरणका लक्ष्य है।

अगर विस्तार से से देखा जाए तो महिला सशक्तिकरण एक बहुआयामी विषय है । इसे आर्थिक सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि दृष्टिकोणों से देखा जाना चाहिए । क्योंकि केवल एक क्षेत्र में सशक्त होने से सभी क्षेत्रों में अधिकार और सशक्तिकरण संभव नहीं है । जैसे- आज राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने के बावजूद महिलाएं आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक रूप से समान रूप से सशक्त नहीं हैं ।

अन्य दृष्टिकोण से देखा जाय तो-

  • ‘परिवार समाज और अपने निजी सम्बन्धियों के दबाव से मुक्त होकर जीवन जीने और निर्णय लेने में महिलाओं को सशक्त बनाना  महिला सशक्तिकरण है ।’ इन निर्णयों में निजी जीवन और परिवार से जुड़े सभी निर्णयों को ले सकने और निर्णयों में भागीदारी निहित है ।
  • आर्थिक सशक्तिकरण से ही वास्तव में एक महिला को निर्णय लेने और अपना मत देने की शक्ति प्राप्त होती है । इसलिए आर्थिक रूप से सशक्त होना और साथ ही उस अर्जित आर्थिक क्षमता का उपयोग कर सकने की छूट (अर्थात जो धन कमाया है उसे अपने अनुसार खर्च करना ) सशक्तिकरण के लिए बहुत आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार – महिला सशक्तिकरण के पाँच घटक हैं:

  • 1. स्त्री में आत्मसम्मान की भावना।
  • 2. राय रखने और निर्णय लेने का उनका अधिकार।
  • 3. अवसरों और संसाधनों तक पहुंच का उनका अधिकार।
  • 4. घर के भीतर और बाहर दोनों जगह अपने जीवन से जुड़े निर्णय लेने  का उनका अधिकार।
  • 5. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक न्यायसंगत सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था बनाने के लिए सामाजिक परिवर्तन की दिशा को प्रभावित करने की उनकी क्षमता।

“वास्तव मे महिलाओं के सशक्तिकरण से ही सम्पूर्ण रूप से सशक्त समाज बनाया जा सकता है” 

what is women empowerment

 

महिला सशक्तिकरण के आयाम

1. राजनीतिक सशक्तिकरण

संवैधानिक प्रावधानों और कानूनी प्रावधानों के माध्यम से महिलाओं को प्रदान किए जाने वाले अधिकार, राजनीतिक सशक्तिकरण के अंतर्गत आते हैं। जैसे- संविधान में मूल अधिकार, सार्वभौम मताधिकार, 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन से प्राप्त राजनीतिक अधिकार, घरेलू हिंसा के विरूद्ध कानून आदि।

राजनीतिक सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि महिलाओं को वैधानिक संरक्षण और न्याय का अधिकार प्रदान करता है । जैसे 73वें और 74 वें संविधान संशोधन में महिलाओं को पंचायतों में एक तिहाई आरक्षण प्रदान किया गया है, इस संरक्षण से बड़ी संख्या में महिलाओं की पंचायत स्तर पर राजनीति में भागीदारी हुई है, जिससे देश और समाज की भी प्रगति हुई है।

2. सामाजिक सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आजादी के बाद राजनीतिक संरक्षण मिलने के बावजूद भारत में महिलाएं सशक्त नहीं हो पाईं, जिसका प्रमुख कारण सामाजिक सशक्तिकरण का ना होना था।

क्योंकि समाज अभी भी पुराने तौर-तरीकों और परंपराओं पर आधारित जीवन शैली को ही अपनाए हुए है । सामाजिक सशक्तिकरण के अभाव से संपूर्ण रूप में महिला सशक्तिकरण पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। आज भी भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण है। अधिकांश भारतीय जनसंख्या आज भी परंपरागत मान्यताओं के अनुसार ही अपना जीवन यापन करती है, जिसमें महिला अधिकारों को विशेष वरीयता नहीं दी जाती है और ना ही महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति भी कोई विशेष जागरूकता है।

आवश्यकता है समय के साथ अधिकारों के प्रति जागरूक होने उन्हें स्वीकार करने और समाज के सर्वांगीण विकास में महिलाओं के योगदान को बढ़ाने की।

3. आर्थिक सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण का सबसे मजबूत आधार वास्तव में आर्थिक सशक्तिकरण ही है । आर्थिक सशक्तिकरण से ही संवैधानिक और कानूनी प्रावधान और विकल्पों का प्रयोग करने की क्षमता एक महिला में आ पाती है।

अपने स्वयं के निर्णय लेने और उन निर्णयों को लागू करने में भी आर्थिक सशक्तिकरण का होना बहुत आवश्यक है । आर्थिक मजबूती के बाद भी एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि महिला को अपनी कमाए गए धन को खर्च करने की  स्वतंत्रता भी प्राप्त होनी चाहिए नहीं तो इसका कोई विशेष लाभ महिला को प्राप्त नहीं हो सकता है।

4.धार्मिक सशक्तिकरण

धर्म मानव समाज और व्यक्तिगत जीवन का बहुत महत्वपूर्ण अंग है । धार्मिक आस्था का चुनाव करने, अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर को मानने, धार्मिक क्रियाकलापों को पूर्ण करने की स्वतंत्रता ही धार्मिक सशक्तिकरण है । इसमें ईश्वर को न मानने और धार्मिक दबाव से मुक्त रहने की स्वतंत्रता भी अंतर्निहित है ।

आज भी समाज में महिलाओं को समान धार्मिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं । धार्मिक स्थानों में प्रवेश करने, आराधना करने, धार्मिक कर्मकांडों को करने की स्वतंत्रता नहीं है । महिला सशक्तिकरण के लिए आस्था का स्वतंत्रतापूर्वक प्रकटीकरण भी नितांत आवश्यक है।

5. व्यक्तिगत सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण के लिए महिला को व्यक्तिगत रूप से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक (चेतना के स्तर पर) सशक्त होना अति आवश्यक है । तभी एक स्त्री अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ उठकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकती है । जहां आवश्यक हो अधिकारों की मांग कर सकती है, न्याय के लिए लड़ सकती है ।

व्यक्तिगत सशक्तिकरण के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है उपलब्ध संसाधनों के साथ अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना, शिक्षा के अवसरों का पूर्ण लाभ उठाना, संवैधानिक प्रावधानों और नियमों को समझना, जागरूक बनना, अपने सामाजिक दायरे (community) का विस्तार करना आदि।

1. महिला सशक्तिकरण का क्या अर्थ है?

उत्तर- सशक्तिकरण सशक्त बनने की एक प्रक्रिया है जिसमें स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक,सामाजिक, राजनीतिक धार्मिक और सांस्कृतिक विकास भी सम्मिलित होता

2. महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य क्या है?

उत्तर- महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य महिलाओं को मजबूत बनाना, उनको अधिकार प्रदान करना और समाज के विकास में समान रूप से सहयोगी बनाना है।

3. महिला सशक्तिकरण कैसे किया जाता है?

उत्तर- महिला सशक्तिकरण महिलाओं को राजनीतिक सामाजिक आर्थिक धार्मिक सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाकर किया जा सकता है ।

4. महिला सशक्तिकरण दिवस कब मनाया जाता है

उत्तर- ऐसा कोई दिवस वर्तमान में नहीं मनाया जाता। महिला दिवस 8 मार्च के दिन महिला सशक्तिकरण के विषय में व्यापक चर्चा की जाती है।

5.विश्व महिला दिवस क्यों मनाया जाता है

उत्तर- प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाए जाने वाला विश्व महिला दिवस, महिलाओं को सशक्त और जागरूक बनाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाया जाता है उनके द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों को सम्मान दिया जाता है

अन्य लेख पढ़ें-

महात्मा गांधी के लिए दिए गए उद्धरण | quotes for mahatma gandhi

महात्मा गांधी के अनमोल विचार | quotes of mahatma gandhi

4 thoughts on “महिला सशक्तिकरण क्या है? | what is women empowerment”

Leave a Comment